भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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मार्च 05, 2013

भावना



"प्रेम एक भावनागत विषय है, भावना ही से उसका पोषण होता है, भावना ही से लुप्त हो जाता है । प्रेम भौतिक वस्तु नहीं है ।"

- मुँशी प्रेमचंद 




14 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम भावना पर ही पलता है.. सुंदर विचार..तभी न कहते हैं भगवान भाव के भूखे हैं..और यह भी कि जिस जिस भाव से कोई उन्हें भजता है उसी भाव में उन्हें पाता है..

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  2. बहुत बढि़या कलेक्शन
    फोटो, सूक्तिया, गलत और खलील जिब्रान का लेखन

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  3. लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  4. बेनामीसितंबर 22, 2013

    सुन्दर विचार

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  5. बेनामीसितंबर 22, 2013

    सुन्दर विचार हैं आपके

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  6. अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  7. प्रेम, प्रेमचंद और भावना.............एक साथ बहुत खूब.............

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  8. बहुत सुन्दर सुविचार प्रस्तुति ...

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  9. नमस्कार जी
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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...