भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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अप्रैल 05, 2011

सफलता


"संसार में किसी काम का अच्छा या बुरा होना उसकी सफलता पर निर्भर है | सफलता में दोषों को मिटाने की की विलक्षण शक्ति है |"


                                                               - मुँशी प्रेमचंद 

5 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ, होता तो ऐसा ही है पर होना नहीं चाहिये ...अगर कोई चोर चोरी में सफल हो जाये या कोई शक्तिशाली देश किसी छोटे देश को हराने में, जैसे चीन ने तिब्बत को, तब क्या कहेंगे ? यही न कि 'समरथ को नहीं दोष गोसाईं'

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  2. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए आपका आभार. आपका ब्लॉग दिनोदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो, आपकी लेखन विधा प्रशंसनीय है. आप हमारे ब्लॉग पर भी अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "अनुसरण कर्ता" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    माफियाओं के चंगुल में ब्लागिंग

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  3. बढ़िया!

    चूल्हे चौके की खट पट में,
    समय कहाँ फिर मिल पाता है |
    मन में प्रिय रागिनी बसी हो,
    गीत लवों पर खिल आता है ||

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...