भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
Click here for Myspace Layouts
जुलाई 16, 2011
मानव ह्रदय
"मानव ह्रदय एक रहस्यमय वस्तु है, कभी तो वह लाखों की ओर आँख उठाकर नहीं देखता और कभी कौड़ियों पर फिसल जाता है|"
- मुँशी प्रेमचंद
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सच कहा , मन के हार हार है मन के जीते जीत ....यानि मन ही सर्वोपरि है ...तो फिर इसकी नकेल अपने हाथों में होनी चाहिए ....किसी शायर ने कहा ..दुनिया जिसे कहते हैं , जादू का खिलौना है , मिल जाए तो मिट्टी है , न मिल पाए तो सोना है ....है तो ये मन का ही खेल ...चाहे तो जर्रे को खुदा कर ले ...
जवाब देंहटाएंप्रेमचंद्र के कथन तो बहुमूल्य होते हैं
जवाब देंहटाएंSach hai...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच..
जवाब देंहटाएं