भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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जुलाई 16, 2011

मानव ह्रदय


"मानव ह्रदय एक रहस्यमय वस्तु है, कभी तो वह लाखों की ओर आँख उठाकर नहीं देखता और कभी कौड़ियों पर फिसल जाता है|"
                                                           - मुँशी प्रेमचंद 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा , मन के हार हार है मन के जीते जीत ....यानि मन ही सर्वोपरि है ...तो फिर इसकी नकेल अपने हाथों में होनी चाहिए ....किसी शायर ने कहा ..दुनिया जिसे कहते हैं , जादू का खिलौना है , मिल जाए तो मिट्टी है , न मिल पाए तो सोना है ....है तो ये मन का ही खेल ...चाहे तो जर्रे को खुदा कर ले ...

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  2. प्रेमचंद्र के कथन तो बहुमूल्य होते हैं

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...