भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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नवंबर 26, 2010

जवानी......जवानी का जोश



"जवानी जोश है, बल है, दया है, साहस है, आत्मविश्वास है, गौरव है और वह सब कुछ जो जीवन को पवित्र, उज्जवल और पूर्ण बना देता है|"


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"जवानी का जोश घमण्ड है, निर्दयता है, स्वार्थ है, शोखी है, विषय-वासना है, कटुता है और वह सब कुछ है जो जीवन को पशुता, विकार और पतन की और ले जाता है|"


                                                                                        - मुँशी प्रेमचंद 

9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेमचन्द जी के ये अनमोल मोती गिरह बाँधने लायक हैं ......!!

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  2. ek hi vishy par do bhinn bhavabhivyaktiya prastut karna premchand ji jaise mahan lekhak ka hi karm hai .prashansniy prastuti !

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  3. जीवन में उतार लेने योग्य विचार ....... उत्तम

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  4. इसका अर्थ यह भी तो हुआ की जिसमे भी जोश, साहस, बल , आत्मविश्वास तथा जीवन को उच्च बनाने वाले तत्व हैं, वह युवा ही है !

    और होश के बिना जोश विनाशकारी है.

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  5. बेनामीनवंबर 29, 2010

    @ अनीता जी,

    बिलकुल सही कहा है आपने इसको यूँ भी कह सकते हैं|

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  6. इमरान जी,
    आपका ब्लॉग वास्तव में अनमोल मोती का खज़ाना है !
    महान कथाकार मुंशी प्रेमचन्द को समर्पित आपका ब्लॉग नायाब है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  7. इमरान जी,
    आपका ब्लॉग वास्तव में अनमोल मोती का खज़ाना है !
    महान कथाकार मुंशी प्रेमचन्द को समर्पित आपका ब्लॉग नायाब है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  8. इत्तफाकन आपके ब्लाग पर आना हुआ । वाकई विचारों के साथ चित्रों का आपका ये संग्रह अद्भुत है । धन्यवाद...

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...