भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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अप्रैल 19, 2011

परीक्षा-अग्नि


"दुःख की अवस्था ही वह परीक्षा-अग्नि है, जो मनुष्य का असली चेहरा सामने ला देती है|"
                                               - मुँशी प्रेमचंद 

अप्रैल 05, 2011

सफलता


"संसार में किसी काम का अच्छा या बुरा होना उसकी सफलता पर निर्भर है | सफलता में दोषों को मिटाने की की विलक्षण शक्ति है |"


                                                               - मुँशी प्रेमचंद