भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
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प्रेम भावना पर ही पलता है.. सुंदर विचार..तभी न कहते हैं भगवान भाव के भूखे हैं..और यह भी कि जिस जिस भाव से कोई उन्हें भजता है उसी भाव में उन्हें पाता है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या कलेक्शन
जवाब देंहटाएंफोटो, सूक्तिया, गलत और खलील जिब्रान का लेखन
लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंwah......
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार हैं आपके
जवाब देंहटाएंsundar vichaar
जवाब देंहटाएंउत्तम संग्रह
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
जवाब देंहटाएंप्रेम, प्रेमचंद और भावना.............एक साथ बहुत खूब.............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सुविचार प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंनमस्कार जी
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अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।