भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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फ़रवरी 13, 2012

उद्देश्य


"दुनिया अंधी है और दूसरों को अंधा बनाये रखना चाहती है । जो खुद अपने लिए नई राह निकलेगा उस पर संकीर्ण विचार वाले हँसे, तो क्या आश्चर्य है।

मानव जीवन का उद्देश्य कुछ और भी है, खाना, कमाना और मर जाना नहीं ।"

- मुँशी प्रेमचंद