"आदमी को जीवन क्यों प्यारा होता है? इसलिए नहीं कि वह सुख भोगता है, जो सदा दुःख भोगा करते हैं और रोटियों को तरसते हैं, उन्हें जीवन कम प्यारा नहीं होता|
हमें जीवन इसलिए प्यारा होता है कि हमें अपनों का प्रेम और दूसरों का आदर मिलता है | जब इन दो में से एक के मिलने कि भी आशा नहीं , तो जीवन व्यर्थ है |"
- मुँशी प्रेमचंद