भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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अक्तूबर 29, 2011

सहानुभूति



"सहानुभूति वह दुर्लभ चाभी है, जिससे दूसरों के ह्रदय के अनसुलझे रहस्यों का ताला खोला जा सकता है"

- मुँशी प्रेमचंद 

अक्तूबर 12, 2011

साक्षी


"जनता के फैसले साक्षी नहीं खोजते, अनुमान ही उसके लिए सबसे बड़ी गवाही है"

- मुँशी प्रेमचंद