भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

Click here for Myspace Layouts

मई 25, 2012

क्षणभंगुर


"जीवन से ज़्यादा आसार भी दुनिया में कोई वस्तु है, क्या वह उस दीये की तरह क्षणभंगुर नहीं, जो हवा के एक झोंके से बुझ जाता है।"

                                                            - मुँशी प्रेमचंद 


24 टिप्‍पणियां:

  1. आसार नहीं सचमच असार है जीवन..इक बूंद सा, इक लौ सा और इक कतरे सा...कब हाथों से निकल जायेगा पता भी नहीं चलेगा..

    जवाब देंहटाएं
  2. Munshi ji bhee kamaal kee baten kah gaye!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामीमई 25, 2012

    आप सभी लोगों का तहेदिल से शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. सही है ... जीवन ऐसा ही है क्षणभंगुर ...

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन के प्रति इसी नैराश्य भाव के कारण हम अतिशय भाग्यवादी होकर रह गए हैं। जीवन असार है,तो फिर सार किसमें है? सार जिसमें भी है,उसे समझने के लिए भी जीवन चाहिए। अनुभव की चूक मालूम पड़ती है।

    (निवेदनःकृपया आसार को असार कर लें)

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रशसनीय.... मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर विचार।

    ईद की दिली मुबारकबाद।
    ............
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

    जवाब देंहटाएं
  8. बेनामीअगस्त 21, 2012

    आप सभी लोगों का दिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  9. bahut achcha laga is blog par aa kar

    Kalam ke sipahi ko arpit meri rachnaayen :-
    http://alokitajigisha.blogspot.in/2010/12/blog-post_21.html
    http://alokitajigisha.blogspot.in/2012/02/blog-post_18.html

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया विचार प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं

  12. असार नहीं भाईजान अ -सार ,निस्सार कर लें -

    पानी कैरा, बुद्बुदा अस मानस की जात ,

    देखत ही बुझ जाएगा ,ज्यों तारा परभात .

    जवाब देंहटाएं

  13. प्रेमचंद को समर्पित
    सुंदर -सार्थक संग्रह
    आपको बहुत बहुत बधाई














































    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर विचार, मोती सच्चे ."असार "कर लें भाईसाहब ("आसार" कुछ और चीज़ है कैसे आसार हैं ,क्या ब्योंत है कांग्रेस का 2014 में ,बतलाएं आपको लुटिया डूबेगी .)

    जवाब देंहटाएं

जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...