भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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मार्च 25, 2011

आशा - निराशा


"सफलता में अनंत सजीवता होती है, विफलता में अनंत आशक्ति | आशा मद है, निराशा मद का उतार | आशा जड़ की ओर ले जाती है, निराशा चैतन्य की ओर | आशा आँखें बंद कर देती है, निराशा आँखें खोल देती है | आशा सुलाने वाली थपकी है, निराशा जगाने वाली चाबुक |"

                                                                            - मुँशी प्रेमचंद 

मार्च 04, 2011

उद्धार


"किसी औरत के शब्द जितनी आसानी से दीन और ईमान को गारत कर सकते हैं, उतनी ही आसानी से उसका उद्धार भी कर सकते हैं|"


                                                                - मुँशी प्रेमचंद