भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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दिसंबर 27, 2010

रण-क्षेत्र


"संसार एक रण-क्षेत्र है | इस मैदान में वही जीतता है, जो अवसर को पहचानता है| वह अवसर पर जितने उत्साह से आगे बढ़ता है, उतने ही उत्साह से आपत्ति के समय पीछे हट जाता है, इतिहास उसके नाम पर यश के फूलों की वर्षा करता है|


पर इस मैदान में कभी-कभी ऐसे लोग भी आते हैं जो अवसर पर कदम बढ़ाना जानते हैं, लेकिन संकट में पीछे हटना नहीं जानते| ये रणवीर विजय को नीति की भेंट कर देते हैं| उनमे से कोई विरला ही संसार क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है| किन्तु उसकी हार विजय से भी अधिक गौरवात्मक होती है|"


                                                                                       -  मुँशी प्रेमचंद 

दिसंबर 10, 2010

क्रोध की अग्नि



"क्रोध की अग्नि सदभावों को भस्म कर देती है| 
प्रेम और प्रतिष्ठा, दया और न्याय सब जलकर राख़ हो जाता है|"
          
         -  मुँशी प्रेमचंद

दिसंबर 03, 2010

आग




"बाहर की आग केवल देह का नाश करती है, जो स्वयं नश्वर है, भीतर की आग अनंत आत्मा का सर्वनाश कर देती है|"
                                                                          -मुँशी प्रेमचंद 

नवंबर 26, 2010

जवानी......जवानी का जोश



"जवानी जोश है, बल है, दया है, साहस है, आत्मविश्वास है, गौरव है और वह सब कुछ जो जीवन को पवित्र, उज्जवल और पूर्ण बना देता है|"


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"जवानी का जोश घमण्ड है, निर्दयता है, स्वार्थ है, शोखी है, विषय-वासना है, कटुता है और वह सब कुछ है जो जीवन को पशुता, विकार और पतन की और ले जाता है|"


                                                                                        - मुँशी प्रेमचंद 

नवंबर 19, 2010

क्षमा


"क्षमा बदले के भय से नहीं माँगी जाती| भय से आदमी छिप जाता है, दूसरों की मदद माँगने दौड़ता है, क्षमा नहीं माँगता| क्षमा आदमी उसी वक़्त माँगता है, जब उसे अपने अन्याय और बुराई का विश्वास हो जाता है और जब उसकी आत्मा उसे लज्जित करती है|"


                                                                 - मुँशी प्रेमचंद  

नवंबर 08, 2010

दरिद्र और दुर्बल


"संसार में दरिद्र और दुर्बल होना पाप है| इसकी सज़ा से कोई नहीं बच सकता| बाज़ कबूतर पर कभी दया नहीं करता|"
                                                                                 -  मुँशी प्रेमचंद 

नवंबर 01, 2010

व्यंग्य


"आग चाहें फूस को न जला सके, काँच चाहे पत्थर की चोट से न टूट सके पर व्यंग्य विरले ही कभी ह्रदय को प्रज्ज्वलित करने, उसमे चुभने और उसे चोट पहुँचाने में असफल होता है|"
                                                                  
                                                                                      - मुँशी प्रेमचंद 

अक्तूबर 23, 2010

सत्य सेवा



"जहाँ रूप, यौवन, संपत्ति और प्रभुता प्रेम का बीज बोने में असफल रहते हैं वहाँ अक्सर उपकार का जादू चल जाता है| कोई ह्रदय ऐसा वज्र और कठोर नहीं, जो सत्य सेवा से द्रवीभूत न हो जाये|"
                                                                                   
                                                                  - मुँशी प्रेमचंद 

अक्तूबर 13, 2010

क्रोध


"क्रोध अत्यंत कठोर होता है, वह मौन को सहन नहीं कर सकता | 
उसकी शक्ति अपार है ऐसा कोई घातक से घातक शस्त्र नहीं है, 
जिससे बढकर काट करने वाले यंत्र उसकी शस्त्रशाला में न हों; 
लेकिन मौन वह मन्त्र है, जिसके आगे उसकी सारी शक्ति विफल हो जाती है|
मौन उसके लिए अजेय है|"
           
                - मुँशी प्रेमचंद 

अक्तूबर 05, 2010

आत्मीयता


"दूसरों की बुराइयों की हमें परवाह नहीं होती, अपनों ही को बुरी राह चलते देखकर दंड दिया जाता है| मगर अपनों को दंड देते समय इसका तो ध्यान रखना चाहिए की आत्मीयता का सूत्र टूटने न पाए|"
                                                         - मुँशी प्रेमचंद 

अगस्त 18, 2010

मुँशी प्रेमचंद


मुँशी प्रेमचंद जी के बारे में इतना ही कह सकता हूँ, कि वो युगपुरुष थे...ऐसे लोग शताब्दियों में पैदा होते हैं, ये वह व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान की, उनका साहित्य ....सिर्फ उस समय का ही नहीं वरन आज के हिन्दुस्तान का भी आइना है| मानव चरित्र कितना रहस्यमय है, और कितना गहरा है, सम्पूर्ण साहित्य जगत में प्रेमचंद जी से अच्छा मानव चरित्र का चित्रण किसी अन्य साहित्यकार ने नहीं किया |

आज कि पोस्ट में प्रेमचंद जी द्वारा रचित अनमोल मोती :-

"ज़माने कि लहरों ने अनगिनत हेकड़ो को जड़ से खोदकर फेंक दिया और हजारों मशहूर लोगों का नाम हस्ती के पन्ने से मिटा दिया मगर उन थोड़े नामो का कुछ भी न बिगाड़ सके, जिनका नाम आज तक दोपहर से सूरज कि तरह चमक रहा है "

मेरी तरफ से आप सबसे एक अपील :-

मेरे इस ब्लॉग पर मैं उनके साहित्य में से चुने हुए कुछ अनमोल मोती आपकी भेंट करूँगा.....उम्मीद करता हूँ की आपको पसंद आएगा| और आप सब लोगो से तहेदिल से गुज़ारिश है, कि अगर आप प्रेमचंद जी के साहित्य को थोडा भी पसंद करते हैं, और चाहते हैं कि वह हमेशा एक अमर साहित्यकार के रूप में हम सब के बीच जीवित रहे और अपने बहुमूल्य विचारो से जीवन के इस दुर्गम पथ पर हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहें, तो अधिक से अधिक संख्या में मेरे इस ब्लॉग को फॉलो करें......क्योंकि आप सब के सहयोग के बिना मेरे लिए इस ब्लॉग को सफल बनाना बहुत मुश्किल काम है |

यह सब मैंने इसलिए लिखा है क्योंकि इससे पहले मेरे दो ब्लॉग मैंने दो महान शख्सियतों को समर्पित कियें है, जो कि इस प्रकार हैं :-

मिर्जा ग़ालिब को समर्पित - http://mirzagalibatribute.blogspot.com/

और दूसरा खलील जिब्रान को समर्पित है :-   http://khaleelzibran.blogspot.com/

मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है, कि मुझे आप लोगों से मनोवांछित सहयोग प्राप्त नहीं हुआ| इसके अतरिक्त मेरा एक अन्य ब्लॉग जिसमे मैंने उर्दू अदब कि शायरी को जगह दी है, इनसे अच्छी प्रतिक्रियाएं मुझे वहां प्राप्त होती हैं|

वह ब्लॉग है :-  http://jazbaattheemotions.blogspot.com/

इसके आलावा मैं आजकल देखता हूँ कि लोग अपने ब्लॉग कि आवा-जाही बढाने के लिए लोगो को ज़बरदस्ती ईमेल भेज रहे हैं | मेरी अंतरात्मा यह सब गवारा नहीं करती | इसके अतरिक्त मैंने ऐसे-ऐसे ब्लॉग देखे हैं - खासकर महिलाओं के, जिनमे वह कुछ भी लिख दे, उन्हें ३०-८० के बीच प्रतिक्रियाएं प्राप्त होती है और उनके ब्लॉग के १५०-२०० के बीच आम फ़ौलोवर होते हैं | यहाँ मैं यह बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि कृपया आप अन्यथा न ले, मैंने सारी महिलाओं को नहीं कहा है , क्योंकि मैंने कुछ महिलाओं के ब्लॉग पढ़े हैं, वह बहुत अच्छा और सटीक लिखती हैं |

अंत में आपसे निवेदन है कृपया सोच को बदले......रचना को सराहे, न कि रचनाकार पर आकर्षित हो|
ब्लॉगजगत एक विशाल सागर है, हम गूगल के आभारी हैं जिसने हिंदी में ब्लॉग सेवा प्रदान करके हम सबको एक विस्तृत मंच प्रदान किया है, कृपया यहाँ उन महान लोगो को जगह दे, जिन्होंने अपना सब कुछ मानवता को समर्पित कर दिया है .....ताकि पतन के गर्त में गिरती आज कि पीढ़ी, जिसका मैं भी एक हिस्सा हूँ ( मेरी उम्र २७ वर्ष है ) कुछ अच्छा सीख सके....और जीवन के महान उद्देश्य को पूर्ण कर सके,ताकि उसके चरित्र का सही निर्माण हो सके |

अगर कुछ गलत लिख दिया हो, तो आप सबसे माफ़ी चाहता हूँ |