भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
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"मानव जीवन का उद्देश्य कुछ और भी है, खाना, कमाना और मर जाना नहीं ।"
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार......!!
शुक्रिया पूनम दी |
हटाएंBahut sundar vichar!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया क्षमा जी |
हटाएंसुन्दर विचार । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका |
हटाएंबहुत अच्छी बात कही है...गज़ब
जवाब देंहटाएंनीरज
शुक्रिया नीरज जी|
हटाएंबहुत सुंदर विचार ...
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार ... मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमानव जीवन कितना अमूल्य है यह हमें कबीर, नानक और ईसा को देखकर पता चलता है...कि एक मानव कितनी ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है...लेकिन दुनिया इस जीवन को चलाने के लिए बस कमाना, खाना ही जरूरी समझती है...
जवाब देंहटाएंप्रेमचन्द ने इस उद्देश्य को समझा और अमर हो गए. सार्थक पोस्ट !
satya vachan :)
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंFully Agreewid Anita ji..!!
जवाब देंहटाएंमुंशी जी के लेखन की तो मैं वैसे भी फैन हूँ उनके विचारों को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आभार ....
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