भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........

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मार्च 04, 2011

उद्धार


"किसी औरत के शब्द जितनी आसानी से दीन और ईमान को गारत कर सकते हैं, उतनी ही आसानी से उसका उद्धार भी कर सकते हैं|"


                                                                - मुँशी प्रेमचंद

8 टिप्‍पणियां:

  1. उसका यानि किसका ? कुछ अधूरा सा लगा, वैसे शब्दों की ताकत का लोहा तो मानना ही पड़ेगा !

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  2. बेनामीमार्च 04, 2011

    इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. बेनामीमार्च 04, 2011

    @ अनीता जी जिसका दीन और ईमान ख़राब होता है उसी का यानि पुरुष का|

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  4. जीतनी तारीफ करू ....वह कम ही है ! बहुत - बहुत धन्यवाद..

    !

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  5. are wah kya khob ....!
    prastuti ke liye dhanyabad.

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...