"क्रोध अत्यंत कठोर होता है, वह मौन को सहन नहीं कर सकता |
उसकी शक्ति अपार है ऐसा कोई घातक से घातक शस्त्र नहीं है,
जिससे बढकर काट करने वाले यंत्र उसकी शस्त्रशाला में न हों;
लेकिन मौन वह मन्त्र है, जिसके आगे उसकी सारी शक्ति विफल हो जाती है|
मौन उसके लिए अजेय है|"
- मुँशी प्रेमचंद
बहुत ही नेक सदवचन हैं प्रेमचंद जी के उदगार प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंbahut sunder..... Imran.... In arthpoorn shabdon ko sajha karne ke liye.. dhanywad
जवाब देंहटाएंpoorn tour se sahaaamat....
जवाब देंहटाएंआपकी ये पंक्तियाँ मुझे संबल देगीं ......!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...फिर भी नाराज होते हो ??
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
http://yatraekmanki.blogspot.com/2010/10/blog-post.html
अर्थात एक चुप सौ सुख !
जवाब देंहटाएंachchhe lekhan ki yhi sarthkta haiki vo hmesha jivnt rhe our prerna de .
जवाब देंहटाएंaapko sadhuwad enhe sngrheet krne ke liye .
kabhi-kabhi maun rahna bhi krodh ko badava deta hai.yaad rakhiye-ati ka bhala n bolna;ati ka bhala n chup.
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