"जहाँ रूप, यौवन, संपत्ति और प्रभुता प्रेम का बीज बोने में असफल रहते हैं वहाँ अक्सर उपकार का जादू चल जाता है| कोई ह्रदय ऐसा वज्र और कठोर नहीं, जो सत्य सेवा से द्रवीभूत न हो जाये|"
- मुँशी प्रेमचंद
bilkul sahi.aap ye tippadiyan premchand ji ki kis kriti se lete hain iska ullekh bhi kiya karen.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही ..... ऐसा इस दुनिया में कई महान हस्तियों ने किया भी है.....बहुत सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंसत्य सेवा का भाव भीतर जग जाना ही तो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है , सचमुच इसका जादू सर चढ़ कर बोलेगा.
जवाब देंहटाएंमानवता की पहली शर्त और पहला धर्म भी यही है . पर............... . पुनः याद दिलाने के लिए बधाई ......
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