भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
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नवंबर 08, 2010
दरिद्र और दुर्बल
"संसार में दरिद्र और दुर्बल होना पाप है| इसकी सज़ा से कोई नहीं बच सकता| बाज़ कबूतर पर कभी दया नहीं करता|"
- मुँशी प्रेमचंद
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ये तो प्रकति का नियम है, दुर्बल हमेशा ही बलशाली के अन्याय से प्रताड़ित रहा है.....
जवाब देंहटाएंsparkindians.blogspot.com
सत्य है... आज के दौर में ज्यादा ही सत्य लगता है....
जवाब देंहटाएंदरिद्र और दुर्बल होना पाप तो है पर ऐसे पापिओं को ऊपर उठाने के लिए हम क्या करते हैं ?.................
जवाब देंहटाएंसही कहा है इसलिए हमें अपने भीतर बल और समृद्धि का खजाना भरते रहना चाहिए!
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