भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
Click here for Myspace Layouts
दिसंबर 27, 2010
रण-क्षेत्र
"संसार एक रण-क्षेत्र है | इस मैदान में वही जीतता है, जो अवसर को पहचानता है| वह अवसर पर जितने उत्साह से आगे बढ़ता है, उतने ही उत्साह से आपत्ति के समय पीछे हट जाता है, इतिहास उसके नाम पर यश के फूलों की वर्षा करता है|
पर इस मैदान में कभी-कभी ऐसे लोग भी आते हैं जो अवसर पर कदम बढ़ाना जानते हैं, लेकिन संकट में पीछे हटना नहीं जानते| ये रणवीर विजय को नीति की भेंट कर देते हैं| उनमे से कोई विरला ही संसार क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है| किन्तु उसकी हार विजय से भी अधिक गौरवात्मक होती है|"
- मुँशी प्रेमचंद
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा. जो आपत्ति में भी आगे बढ़ता जाये वह कोई शूरमा ही होगा, सचमुच उसकी हार में भी जीत छिपी है !
जवाब देंहटाएं