भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
नवंबर 15, 2011
समय
"समय की निंदा व्यर्थ और भूल है, यह मूर्खता और अदूरदर्शिता का फल है |"
Ek baar phir tarasha hua suvichar!
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय विचार ..
जवाब देंहटाएंसार्थक....
जवाब देंहटाएंसमय की निंदा करके समय ही तो व्यर्थ होगा...
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