भारत ही नहीं वरन विश्व साहित्य में मुँशी प्रेमचंद जी का एक अलग स्थान है, और बना रहेगा | शायद ही कोई ऐसा साहित्य प्रेमी होगा, जिसने मुँशी प्रेमचंद जी को न पढ़ा हो | शायद अब उनके बारे में कुछ और कहने को बचा ही नहीं है| वो एक महान साहित्यकार ही नहीं, एक महान दार्शनिक भी थे | मेरी तरफ से उस महान कलम के सिपाही को एक श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित यह ब्लॉग, जिसमे मैं उनके अमूल्य साहित्य में से उनके कुछ महान विचार प्रस्तुत करूँगा........
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उत्तम और अनुकरणीय विचार ...
जवाब देंहटाएंYe bhee motee anmol hai!
जवाब देंहटाएंSunder vichar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्रेरक विचार.. जीवन को एक दिशा प्रदान करता हुआ ...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही दार्शनिक विचार । मुंशी प्रेमचंद को नमन । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंजीवन को समझने के लिए यह विचार अच्छा लगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक विचार ... ।
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